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म॒हश्चि॒त्त्वमि॑न्द्र य॒त ए॒तान्म॒हश्चि॑दसि॒ त्यज॑सो वरू॒ता। स नो॑ वेधो म॒रुतां॑ चिकि॒त्वान्त्सु॒म्ना व॑नुष्व॒ तव॒ हि प्रेष्ठा॑ ॥

English Transliteration

mahaś cit tvam indra yata etān mahaś cid asi tyajaso varūtā | sa no vedho marutāṁ cikitvān sumnā vanuṣva tava hi preṣṭhā ||

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Pad Path

म॒हः। चि॒त्। त्वम्। इ॒न्द्र॒। य॒तः। ए॒तान्। म॒हः। चि॒त्। अ॒सि॒। त्यज॑सः। व॒रू॒ता। सः। नः॒। वे॒धः॒। म॒रुता॑म्। चि॒कि॒त्वान्। सु॒म्ना। व॒नुष्व॒। तव॑। हि। प्रेष्ठा॑ ॥ १.१६९.१

Rigveda » Mandal:1» Sukta:169» Mantra:1 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:8» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:23» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब एकसौ उनहत्तरवें सूक्त का आरम्भ है। उसके प्रथम मन्त्र में विद्वानों के गुणों का वर्णन करते हैं ।

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) दुःख के विदारण करनेवाले ! अत्यन्त विद्यागुणसम्पन्न ! (यतः) जिस कारण (त्वम्) आप (एतान्) इन विद्वानों को (महः) अत्यन्त (चित्) भी (त्यजसः) त्याग से (वरूता) स्वीकार करनेवाले (असि) हैं इस कारण (महश्चित्) बड़े भी हैं। हे (मरुताम्) विद्वान् सज्जनों के बीच (वेधः) अत्यन्त बुद्धिमान् ! (सः) सो (चिकित्वान्) ज्ञानवान् आप जो (सुम्ना) सुख (तव) आपको (प्रेष्ठा) अत्यन्त प्रिय हैं उनको (नः) हमारे लिये (वनुष्व, हि) निश्चय से देओ ॥ १ ॥
Connotation: - जो विरक्त संन्यासियों के सङ्ग से बुद्धिमान् होते हैं, उनको कभी अनिष्ट दुःख नहीं उत्पन्न होता ॥ १ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वद्गुणानाह ।

Anvay:

हे इन्द्र यतस्त्वमेतान् महश्चिन्महतोऽपि त्यजसो वरूतांसि ततो महश्चिदसि। हे मरुतां वेधः स चिकित्वाँस्त्वं यानि सुम्ना तव प्रेष्ठा सन्ति तानि नो वनुष्व हि ॥ १ ॥

Word-Meaning: - (महः) महान् (चित्) अपि (त्वम्) (इन्द्र) दुःखविदारकातिविद्याबलसम्पन्न (यतः) यस्मात् कारणात् (एतान्) (महः) महतः (चित्) (असि) (त्यजसः) त्यागात् (वरूता) वरिता स्वीकर्त्ता। ग्रसित० इत्यादिषु निपातः। (सः) (नः) अस्मभ्यम् (वेधः) प्राज्ञ (मरुताम्) विदुषां मनुष्याणाम् (चिकित्वान्) ज्ञानवान् (सुम्ना) सुम्नानि सुखानि (वनुष्व) प्रयच्छ (तव) (हि) किल (प्रेष्ठा) अतिशयेन प्रियाणि ॥ १ ॥
Connotation: - ये विरक्तानां संन्यासिनां सङ्गेन मेधाविनो जायन्ते तेषां कदाचिदप्रियं नोत्पद्यते ॥ १ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात विद्वान इत्यादींच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या अर्थाची मागच्या सूक्ताच्या अर्थाबरोबर संगती जाणली पाहिजे. ॥

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जे विरक्त संन्याशाच्या संगतीने बुद्धिमान बनतात त्यांचे कधी अप्रिय होत नाही. ॥ १ ॥